बना दो या बिगाड़ दो आशियाँ दिल का
हाथ में ये तेरे है ,नहीं काम कुदरत का।
तोड़ दो यह ख़ामोशी ,खफ़गी भी अब
सर ले लिया अपने, इल्ज़ाम मुहब्बत का।
जी करता है बिखर जाऊं खुशबू बन
तोड़ कर बंदिशें तेरी यादों के गिरफ्त का।
बज़्मे जहान में कोई और नहीं जंचता
कुर्बत में तेरे जवाब है हर तोहमत का।
उम्मीदों का दीया जलता है मुसलसल
कभी तो बरसेगा मेघ उसकी रहमत का।...copyright k.v.
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हाथ में ये तेरे है ,नहीं काम कुदरत का।
तोड़ दो यह ख़ामोशी ,खफ़गी भी अब
सर ले लिया अपने, इल्ज़ाम मुहब्बत का।
जी करता है बिखर जाऊं खुशबू बन
तोड़ कर बंदिशें तेरी यादों के गिरफ्त का।
बज़्मे जहान में कोई और नहीं जंचता
कुर्बत में तेरे जवाब है हर तोहमत का।
उम्मीदों का दीया जलता है मुसलसल
कभी तो बरसेगा मेघ उसकी रहमत का।...copyright k.v.