बेटी
शबनम की मोती पर
सुनहरे लाली सी
चंचल
कुहासे के धुएं में
छटती भोर सी
शीतल
मोगरे की खुशबू में
भंवरों की डोली सी
कोमल
पर्वतों के ढलान पर
पर्वतों के ढलान पर
हिम की चादर सी
निर्मल
पूनम की रात में
दुधिया चाँदनी सी
धवल
समस्त सुन्दर रचना में
कलाकार की कल्पना सी
इहलोक की बुनियाद में
एक इष्टिका सी
मज़बूत आधार हो ।
BAHUT SUNDAR BHAVA ANUBHUTI ! NAMAN KARTI HUN APKI PRATIBHA KO SUNDAR RACHNA LIKHNE KE LIYE BADHAYI HO...
prakritiji aapki aabhari hun ,dhanywad