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बड़ी करिश्माई है अहसासे मुहब्बत
जीवन नहीं कभी बंज़र होता है।

संग मौसम उतर जाओ फ़िज़ाओं में
तुमसे ही शादाब मेरा शज़र होता है।

रात कट जाती है आँखों में अक्सर
उधर भी क्या यही मंज़र होता है।

अजाबे इश्क़ भी अज़ीज़ होता है ,पास
जब तुम्हारी बांहों का पिंजर होता है।

दिल की बात आती नहीं जुबां पे
दिल पे चलता तब खंज़र होता है। 

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