फिर उगना आ गया है
लगाकर रखा था बरसों तक पहरा
हमें घर से निकलना अब आ गया है।
छाया था काले धुएँ सा कुहरा
हमें सूरज सा निकलना आ गया है।
जीवन के टेढ़े - मेढ़े रास्तों, संभल जाओ
हमें राह बदलना आ गया है।
हाथ की रेखाओं ज़रा बदल जाओ
हमें किस्मत गढ़ना आ गया है।
कमर कस लिया हुनर हज़ार सीखने को
हमें हर हार को जीतना आ गया है।
बिस्तर की फ़िक्र है नींद वालों को
हमें करवटों में रात गुज़ारना आ गया है।
मेरे परवाज़ को उठती हज़ारों दुआएँ
हमें तुम्हारा कद्र करना आ गया है।
ठान लिया , आँधियों का रुख़ मोड़ते जाएँ
हमें ढल कर फिर उगना आ गया है।
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लगाकर रखा था बरसों तक पहरा
हमें घर से निकलना अब आ गया है।
छाया था काले धुएँ सा कुहरा
हमें सूरज सा निकलना आ गया है।
जीवन के टेढ़े - मेढ़े रास्तों, संभल जाओ
हमें राह बदलना आ गया है।
हाथ की रेखाओं ज़रा बदल जाओ
हमें किस्मत गढ़ना आ गया है।
कमर कस लिया हुनर हज़ार सीखने को
हमें हर हार को जीतना आ गया है।
बिस्तर की फ़िक्र है नींद वालों को
हमें करवटों में रात गुज़ारना आ गया है।
मेरे परवाज़ को उठती हज़ारों दुआएँ
हमें तुम्हारा कद्र करना आ गया है।
ठान लिया , आँधियों का रुख़ मोड़ते जाएँ
हमें ढल कर फिर उगना आ गया है।