तुम्हारे नाम का
होते नहीं कभी तुम मेरे पास
बस तुम्हारे होने भर का अहसास
क्या - क्या गज़ब ढाता है
खिल उठते हैं शीत के कांस
साथ गुलमोहर मुस्काता है।
देह्गन्ध की परिचित सुवास
हवाओं में मिश्रित आभास
बोझल शामों में रंग भरता है
बज उठते हैं वीणा के तार
मन का पाखी चहक जाता है।
जीते हैं हम लेकर यह आस
लौटेंगे कभी तो वो पल खास
कहते हैं इतिहास दोहराता है
टूटते तारों को ढ़ूँढती हैं निगाहें
चाँद कुछ नीचे सरक जाता है।
पतझड़ में उधड़े हैं लिबास
हिय में फिर भी उजास
आशाओं में तरवर फलता है
और एक बीज अंतस में
तुम्हारे नाम का जी जाता है।
होते नहीं कभी तुम मेरे पास
बस तुम्हारे होने भर का अहसास
क्या - क्या गज़ब ढाता है
खिल उठते हैं शीत के कांस
साथ गुलमोहर मुस्काता है।
देह्गन्ध की परिचित सुवास
हवाओं में मिश्रित आभास
बोझल शामों में रंग भरता है
बज उठते हैं वीणा के तार
मन का पाखी चहक जाता है।
जीते हैं हम लेकर यह आस
लौटेंगे कभी तो वो पल खास
कहते हैं इतिहास दोहराता है
टूटते तारों को ढ़ूँढती हैं निगाहें
चाँद कुछ नीचे सरक जाता है।
पतझड़ में उधड़े हैं लिबास
हिय में फिर भी उजास
आशाओं में तरवर फलता है
और एक बीज अंतस में
तुम्हारे नाम का जी जाता है।
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
प्रेम के एहसास से पगी भावपूर्ण रचना ...
आशाओं में तरवर फलता है
और एक बीज अंतस में
तुम्हारे नाम का जी जाता है। -----
प्रेम का महीन अहसास
सुंदर अनुभूति
सादर
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
http://jyoti-khare.blogspot.in
thanks friends