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बेटी

   

शबनम की मोती पर
सुनहरे लाली सी
       चंचल

कुहासे के धुएं में
छटती भोर सी
      शीतल

मोगरे की खुशबू में
भंवरों की डोली सी
      कोमल


पर्वतों के ढलान पर 

 हिम की चादर सी 
      निर्मल 


पूनम की रात में 
दुधिया चाँदनी सी 
     धवल 


समस्त सुन्दर रचना में 
 कलाकार की कल्पना सी 
तुम व्याप्त हो 


इहलोक की बुनियाद में 
एक इष्टिका सी 
मज़बूत आधार हो 




prakriti  – (27 March 2012 at 08:08)  

BAHUT SUNDAR BHAVA ANUBHUTI ! NAMAN KARTI HUN APKI PRATIBHA KO SUNDAR RACHNA LIKHNE KE LIYE BADHAYI HO...

kavita vikas  – (18 April 2012 at 05:17)  

prakritiji aapki aabhari hun ,dhanywad

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