वर्तमान
वर्तमान का अस्तित्व बिंदु
दोनों तरफ योजक चिह्नके साथ
बीचो -बीच रहा है ।
एक तरफ अतीत को जोड़ता
दूसरी तरफ भविष्य को टटोलता
वह खड़ा होता है चौराहे पर
दाएं -बाएं ,आगे - पीछे
सब ओर बाँहें फैलाए
अतीत की स्मृतियाँ और
भविष्य के सपनों को जोड़ने वाला
एकमात्र सूत्र वर्तमान ही है ।
वो सपने जो हैं समाज का आधार
अतीत से लेकर हथियार
गढ़ते जाते हैं वर्तमान की धार
वर्तमान संवेद सपनों को भी गढ़ता है
अतीत की सीढ़ी पर चढ़
भविष्य को बुनता है ।
वर्तमान के पास विशेषाधिकार है
कल की विध्वंशता पर सृजन कर
आशा के फूल खिलाता है ।
और सृजनात्मकता पर संतोष की बयार
बहाकर कर्मठ बनाता है ।
भविष्य वर्तमान बनने की
जद्दोजहद में बार - बार इससे जुड़ता है
पर विडंबना तो देखो
जिस दिन भविष्य इससे मिलता है
वर्तमान अतीत बन जाता है ।
शायद इस बात की प्रभुता के लिए
कि कोई किसी का साथ नहीं देता है
हरेक काल की मानिंद मानव भी
अकेला आया है ,अकेला जायेगा ।