फिर लौट रहा मधुमास
फिर लौट रहा मधुमास
फिर लौट रहा मधुमास
हरे रंग का ओढ़े लिबास
ख़ुश्क रंगत निखर गयी
दुल्हन सी प्रकृति सज गयी ।
पवन रथ में हो सवार
परिणय मिलन को बेकरार
तूफ़ां लिए पयोद मचल रहा
अरमान इधर भी धधक रहा ।
कलियों में जो मुस्कान भरता
उर में वो उल्लास रचता
माटी में सौंधी महक
कानन में कौंधी चहक।
सुर के पाखी लुभाते
डाली - डाली पींगें लगाते
नीड़ों में कहाँ चैन - बसेरा
उनींदी आँखों में होता सबेरा ।
छा गया समंदर गगन में
विटप मुस्काया उपवन में
कोई संदेशा भेजा ना तार
पाहुन का फिर भी है इंतज़ार ।
मन पखेरू उड़ चला
प्रकृति संग झूम चला
कण - कण को है आभास
फिर लौट रहा मधुमास ।
फिर लौट रहा मधुमास
हरे रंग का ओढ़े लिबास
ख़ुश्क रंगत निखर गयी
दुल्हन सी प्रकृति सज गयी ।
पवन रथ में हो सवार
परिणय मिलन को बेकरार
तूफ़ां लिए पयोद मचल रहा
अरमान इधर भी धधक रहा ।
कलियों में जो मुस्कान भरता
उर में वो उल्लास रचता
माटी में सौंधी महक
कानन में कौंधी चहक।
सुर के पाखी लुभाते
डाली - डाली पींगें लगाते
नीड़ों में कहाँ चैन - बसेरा
उनींदी आँखों में होता सबेरा ।
छा गया समंदर गगन में
विटप मुस्काया उपवन में
कोई संदेशा भेजा ना तार
पाहुन का फिर भी है इंतज़ार ।
मन पखेरू उड़ चला
प्रकृति संग झूम चला
कण - कण को है आभास
फिर लौट रहा मधुमास ।
बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८ ....! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
सुन्दर प्रस्तुति-
बधाई-
बहुत सुन्दर शब्द चित्र...
तूफ़ां लिए पयोद मचल रहा
आग इधर भी धधक रहा । क्या बात है | बिलकुल नया प्रयोग |
aap sabhi kaa aabhar..shukriya
मन पखेरू उड़ चला
प्रकृति संग झूम चला
कण - कण को है आभास
फिर लौट रहा मधुमास ।
.. ..बहुत सुन्दर मधुर रचना
छ गया समंदर गगन में
विटप मुस्काया उपवन में
कोई संदेशा भेजा ना तार
पाहुन का फिर भी है इंतज़ार ।
मन पखेरू उड़ चला
प्रकृति संग झूम चला
कण - कण को है आभास
फिर लौट रहा मधुमास ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
sundar rachna kavita jee...
कण - कण को है आभास
फिर लौट रहा मधुमास ।
सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.