मैं क्या हूँ
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मैं क्या हूँ ?
अक्सर सोचता हूँ
सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता
एक अस्तित्व
या अपनी प्रशंसा पर इठलाता
एक अभिमान
स्व की रक्षा करता एक स्वाभिमान
या कर्मपथ पर अग्रसर एक कर्तव्य
रोज़मर्रा की जद्दोजहद से लड़ता
एक अधिकार
या काले हर्फों में रचता एक विचार
कभी - कभी तो लगता है कि
सारे दुखों का जड़ है यह " मैं "
मृगतृष्णा सी चाहतों का जंजाल लिए
नित नए प्रतिद्वंद्वी बनाता
अनुभवों की पोटली ढ़ोता
एक स्वार्थ
या कभी - कभी एक परमार्थ
आखिर क्या हूँ मैं ?
जब शून्य में लीन होता
अनेक अंध परतों को खंगालता
जान गया कि मैं मात्र भ्रम हूँ
जीवन की भूलभुलैया में खोता
नश्वर देह में अमरता ढूँढता
कितना नासमझ मैं !
शारीरिक आवरण में छिपे
उस सूक्ष्म तत्त्व को अब जान गया
तमाम पहचानों से परे
मैं और कोई नहीं
मैं ब्रह्म हूँ।
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मैं क्या हूँ ?
अक्सर सोचता हूँ
सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता
एक अस्तित्व
या अपनी प्रशंसा पर इठलाता
एक अभिमान
स्व की रक्षा करता एक स्वाभिमान
या कर्मपथ पर अग्रसर एक कर्तव्य
रोज़मर्रा की जद्दोजहद से लड़ता
एक अधिकार
या काले हर्फों में रचता एक विचार
कभी - कभी तो लगता है कि
सारे दुखों का जड़ है यह " मैं "
मृगतृष्णा सी चाहतों का जंजाल लिए
नित नए प्रतिद्वंद्वी बनाता
अनुभवों की पोटली ढ़ोता
एक स्वार्थ
या कभी - कभी एक परमार्थ
आखिर क्या हूँ मैं ?
जब शून्य में लीन होता
अनेक अंध परतों को खंगालता
जान गया कि मैं मात्र भ्रम हूँ
जीवन की भूलभुलैया में खोता
नश्वर देह में अमरता ढूँढता
कितना नासमझ मैं !
शारीरिक आवरण में छिपे
उस सूक्ष्म तत्त्व को अब जान गया
तमाम पहचानों से परे
मैं और कोई नहीं
मैं ब्रह्म हूँ।
अपनी पहचान तो ब्रहम से करली परन्तु ब्रह्म क्या है ? ?? एक वास्तु ? एक व्यक्ति ? एक शक्ति (energy)? या और कुछ?
नई पोस्ट विरोध
new post हाइगा -जानवर