सांझ
किरणों का अवकुंचन कर सूर्य ने
साम्राज्य अपना समेटा है
सुदूर गाँव की सीमा पर बैलों ने
धूल हवा में बिखेरा है ।
कमलिनी सिमट रही पंखुरियों में
भौरों ने तान नया छेड़ा है
खग कलरव गूँज रहा नीड़ों में
स्वागमन का सन्देश भेजा है ।
दीया - बाती सज गए थालों में
सांझ के तारे ने पैगाम भेजा है
रात की बारात सजेगी पल में
रजनीगंधा ने सुवास फैलाया है ।
शंखध्वनि की जादुई शक्ति में
क्लांत मन खिल उठता है
पुलक उठता मनमयूर क्षण में
ज्यों मंद बयार बहता है ।
सौंप कर सत्ता चाँद के हाथ
दिवसेश्वर ने भाईचारा दिखाया है
दिवानिश का कर बंटवारा,तुमने साथ
युगों - युगों से निभाया है ।
किरणों का अवकुंचन कर सूर्य ने
साम्राज्य अपना समेटा है
सुदूर गाँव की सीमा पर बैलों ने
धूल हवा में बिखेरा है ।
कमलिनी सिमट रही पंखुरियों में
भौरों ने तान नया छेड़ा है
खग कलरव गूँज रहा नीड़ों में
स्वागमन का सन्देश भेजा है ।
दीया - बाती सज गए थालों में
सांझ के तारे ने पैगाम भेजा है
रात की बारात सजेगी पल में
रजनीगंधा ने सुवास फैलाया है ।
शंखध्वनि की जादुई शक्ति में
क्लांत मन खिल उठता है
पुलक उठता मनमयूर क्षण में
ज्यों मंद बयार बहता है ।
सौंप कर सत्ता चाँद के हाथ
दिवसेश्वर ने भाईचारा दिखाया है
दिवानिश का कर बंटवारा,तुमने साथ
युगों - युगों से निभाया है ।