तन्हा सफ़र चाँद का
वक़्त है ,मौसम - ए - बहार का
फिज़ाओं में रंग भरने का
तन्हा - तन्हा जीवन में
मुहब्बत ही मुहब्बत भरने का ।
अब तो ,धड़कनों पर राज़ का
सपनों पर अधिकार किसी का
मेंहदी रचे हथेलियों में
शर्मा कर चेहरा छुपाने का ।
अमोल है ,जुड़ना दिल के स्पंदनों का
बहकना शाम की रंगीनियों का
दुनिया की स्नेहल भीड़ में
अहसास अकेला होने का ।
रुत है ,दरिया -ए -इश्क में बहने का
इश्क की आग में जलने का
हाल -ए -दिल बयां करने में
घबरा कर होंठों को काटने का ।
देखा है एक जोड़ा हंसों का
कसमें लेते जीने - मरने का
ठहर कर छत की मुंडेर पे
पैगाम दे जाते ,मुझ सा उनके हाल का ।
बोझिल है ,तन्हा सफ़र चाँद का
थका -थका ,तलाश हमसफ़र का
टिक कर खिड़की के एक कोने पे
प्रयास है मुझे अपना बनाने का ।
अजीब है आलम बेचारगी का
अंदाज़ जुदा है जीते - जी मरने का
उस एक ने नूर भरा जीवन में
जवाब नहीं मेरे दिलबर का ।
अब वक्त है बधाई स्वीकार करने का
सुन्दर प्रस्तुति
पढ़ के अच्छा लगा