ख्वाहिशें
कभी घिर जाऊँ जीवन के झंझावात में
तुम चुपके से राह दिखा देना
बंदिशें लगी हैं पग -पग में
मिलने की तरकीब बता देना ।
आँगन के सुनसान कोने में
अपनी रोशनी बिखरा देना
खो जाऊँ गर दुनिया की भीड़ में
धुँधली यादों में पहचान लेना ।
ख्वाहिशों की अनगिनत परतों में
झाँक सको तो झाँक लेना
जो बातें बयां न हो लफ़्ज़ों में
झुकती पलकों से जान लेना।
बगावत की ठान ली मन में
बलिष्ठ बाँहों का सहारा दे देना
साथी,उल्फत के निःशब्द तरानों में
अहसास के फूल बटोर लेना ।
चाँद की रात हो रूमानी फिज़ां में
तुम सेहरा बाँध आ जाना
देख लेना गर दरवाज़े की ओट में
चंद फूलों की महक बिखेर देना ।
sundar post
अच्छा प्रयास है
शुभकामनायें आपको !