तुम एक जुनून हो
कुछ खुशगवार लम्हों की महक
साँसों में समां सीने तक उतर गयी है
महफूज़ है वह अहसास जिसकी लहक
सुलगा कर बदन तर - बतर कर गयी है ।
शब्दों में बहुत ढाला प्यार को
फिर भी कविता नहीं बन पाई है
लगता है उस अधूरेपन की कसक को
खुदा ने भी खूब आजमाई है ।
आसमां की अरुणाई का नील रंग
मेरे अश्क को तुममे संजोया है
विलग कैसे हो सकता भला एक अंग
जब दो रूहों ने साथ साथ साँसें बटोरा है ।
वो जिज्ञासा ,पिपासा और तन्हाई की रात
बेतरतीब हैं आलम ,तुम एक जुनून हो
सलवटें बता रहीं हैं करवटों की बात
मेरी नज्मों की तुम मज़मून हो ।
सलवटें बता रहीं हैं करवटों की बात
मेरी नज्मों की तुम मज़मून हो ।
वाह बहुत खूब ॥
बढ़िया भाव ||